Wednesday, 15 February 2017

*APJ Abdul Kalams's Messages to Start your day Beautifully -*_

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*1. जिदंगी मे कभी भी किसी को*
      *बेकार मत समझना,क्योक़ि*
        *बंद पडी घडी भी दिन में*
          *दो बार सही समय बताती है।*

*2. किसी की बुराई तलाश करने*
     *वाले इंसान की मिसाल उस*
       *मक्खी की तरह है जो सारे*
        *खूबसूरत जिस्म को छोडकर*
          *केवल जख्म पर ही बैठती है।*

*3. टूट जाता है गरीबी मे*
      *वो रिश्ता जो खास होता है,*
        *हजारो यार बनते है*
          *जब पैसा पास होता है।*

*4. मुस्करा कर देखो तो*
      *सारा जहाॅ रंगीन है,*
       *वर्ना भीगी पलको*
          *से तो आईना भी*
             *धुधंला नजर आता है।*

*5..जल्द मिलने वाली चीजे*
      *ज्यादा दिन तक नही चलती,*
        *और जो चीजे ज्यादा*
           *दिन तक चलती है*
            *वो जल्दी नही मिलती।*

*6. बुरे दिनो का एक*
      *अच्छा फायदा*
         *अच्छे-अच्छे दोस्त*
            *परखे जाते है ।*

*7. बीमारी खरगोश की तरह*
      *आती है और कछुए की तरह*
        *जाती है;*
          *जबकि पैसा कछुए की तरह*
             *आता है और.खरगोश की*
             *तरह जाता है ।*

*8. छोटी छोटी बातो मे*
      *आनंद खोजना चाहिए*
        *क्योकि बङी बङी तो*
          *जीवन मे कुछ ही होती है।*

*9. ईश्वर से कुछ मांगने पर*
      *न मिले तो उससे नाराज*
       *ना होना क्योकि ईश्वर*
           *वह नही देता जो आपको*
            *अच्छा लगता है बल्कि*
            *वह देता है जो आपके लिए*
                    *अच्छा होता है*

*10. लगातार हो रही*
        *असफलताओ से निराश*
           *नही होना चाहिए क्योक़ि*
           *कभी-कभी गुच्छे की आखिरी*
           *चाबी भी ताला खोल देती है।*

*11. ये सोच है हम इसांनो की*
        *कि एक अकेला*
          *क्या कर सकता है*
             *पर देख जरा उस सूरज को*
           *वो अकेला ही तो चमकता है।*

*12. रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो*
        *उन्हे तोङना मत क्योकि*
          *पानी चाहे कितना भी गंदा हो*
           *अगर प्यास नही बुझा सकता*
             *वो आग तो बुझा सकता है।*

*13. अब वफा की उम्मीद भी*
        *किस से करे भला*
            *मिटटी के बने लोग*
               *कागजो मे बिक जाते है।*

*14. इंसान की तरह बोलना*
         *न आये तो जानवर की तरह*
             *मौन रहना अच्छा है।*

*15. जब हम बोलना*
         *नही जानते थे तो*
           *हमारे बोले बिना'माँ*'
     *हमारी बातो को समझ जाती थी।*
            *और आज हम हर बात पर*
                 *कहते है छोङो भी 'माँ'*
                  *आप नही समझोंगी।*

*16. शुक्र गुजार हूँ*
        *उन तमाम लोगो का*
           *जिन्होने बुरे वक्त मे*
             *मेरा साथ छोङ दिया*
                 *क्योकि उन्हे भरोसा था*
                   *कि मै मुसीबतो से*
              *अकेले ही निपट सकता हूँ।*

*17. शर्म की अमीरी से*
         *इज्जत की गरीबी अच्छी है।*

*18. जिदंगी मे उतार चङाव*
         *का आना बहुत जरुरी है*
          *क्योकि ECG मे सीधी लाईन*
            *का मतलब मौत ही होता है।*

*19. रिश्ते आजकल रोटी*
        *की तरह हो गए है*
            *जरा सी आंच तेज क्या हुई*
            *जल भुनकर खाक हो जाते।*

*20. जिदंगी मे अच्छे लोगो की*
        *तलाश मत करो*
          *खुद अच्छे बन जाओ*
            *आपसे मिलकर शायद*
               *किसी की तालाश पूरी हो।*

Sunday, 12 February 2017

शब्द बदलला की अर्थ बदलतो

गरीब माणुस दारु पितो.
मध्यमवर्गीय मद्यपान करतो..
तर श्रीमंत लोक ड्रिंक्स घेतात...!

काम केल्यावर गरीब माणसाला मजुरी मिळते.
काम केल्यावर मध्यमवर्गीय गृहस्थाला पगार मिळते..
तर काम केल्यावर ऑफिसर लोकांना सॅलरी मिळते...!

गरीब माणुस करतो ते लफडं.
मध्यमवर्गीय माणुस करतो ते प्रेम..
तर श्रीमंत व्यक्ती करतात ते अफेअर...!

शब्दा बरोबर शब्द मांडला की कविता होते.
शब्दाने शब्द वाढला की भांडण होते..
शब्दाने शब्द वाढत गेले की लेखकाची रॉयल्टी वाढते...!

आयुष्य हे सुंदर असतं
हे ज्याच त्याने ठरवायचं असतं

स्वप्न फरारीच बघायच का ?
अपना बजाज मधे सुख शाेधायचं...!

डिग्री घेऊन सुशिक्षित व्हायचे का ?
संस्कार जाेपासून सुसंस्कृत व्हायचे...!

आई वडिलांच्या कष्टांची जाणीव ठेवायची का ?
त्यांच्या उतार वयात वृध्दाश्रमाचा चेक फाडायचा...!

आयुष्य हे सुंदर असतं
हे ज्याच त्याने ठरवायचं असतं

तिन्हीसांजा देव्हा-यात दिवा लावायचा का ?
मनाच्या गाभा-यात रातराणी फुलवायची का ?
निवडुंगाचे कुंपण घालून विचार खुंटवायचे...!

जन्माला आलो म्हणून आयुष्य रेटायचं का ?
एकच जन्म आहे म्हणून आयुष्य जगायचं...!

आयुष्य हे सुंदर असतं
हे ज्याच त्याने ठरवायचं असतं

आयुष्य आईस्क्रीम सारखं आहे
टेस्ट केलं तरी वितळतं...!
वेस्ट केलं तरी वितळतं...!

म्हणुन आयुष्य टेस्ट करायला
शिका...!
वेस्ट तर ते तसंही होतच आहे...!

पैशाने गरिब असलात तरी चालेल पण मनाने श्रीमंत रहा...!
कारण गरिबांच्या घरावर लिहलेल असतं सुस्वागतम्...!
आणि श्रीमंतांच्या घरावर लिहलेल असतं कुत्र्यांपासुन सावधान...!
              🌹
टेन्शन घ्यायचंच नाही...
फक्त स्वतःशी प्रामाणिक राहून जगायचं...काही कमी पडत नाही...आणि फरक तर अजिबात पडत नाही...
कारण, नशीब(कर्म+संधि) कधी ही बदलु शकते....
"जिंदगी मस्तीत पण शिस्तीत जगायची..."